विंध गया था
श्रवण कुमार
दशरथ के शब्द वेधी बाण से
और फिर देखते ही देखते
शब्द स्वयं ही
बन गए हथियार
शब्दों से ही घायल किया था
पांचाली ने
दुर्योधन को
अंधे का पुत्र अंधा कह कर
उस एक शब्द शस्त्र ने
जान ले ली
सहसत्रों वीरों -धनुर्धरों, महारथियों
यहाँ तक कि
इच्छा मृत्यु का वर पानेवाले
पितामह भीष्म की भी
शब्दों के महारथी
शब्दों को
अपने तूणीर से निकालने के पहले
दस बार सोच
सोच उनकी संहारक क्षमता के बारे मे
सोच उससे होने वाले विनाश के बारे में
सोच उसकी शक्ति के बारे में
यह शब्द
कितना निष्पाप सा लगता है
पर चीर देता है सीनों को
चूर -चूर कर देता है सपनों को
ध्वस्त कर देता है घरों को
शब्द है
वज्र से अधिक घातक
एक बार निकलने पर
नहीं लौटता
बिना प्रहार किए
सोच-सोच-सोच
यदि हो सके तो
निकाल ऐसे शब्द
जिनसे घिर आयें बादल
बरसें घनघोर
धरती हो जाए हरित
नाच उठे मनमोर
गीत गुनगुना
राग छेड़
जीवन राग ।