List Of Poems
निरीह निष्प्राण बेबस असहाय ज़िंदा लाशे
निरीह
निष्प्राण
बेबस
असहाय ज़िंदा लाशे
झुकी हुई गर्दन
सिले होंठ
डबडबाई आँखें
अधिकार
कर्तव्य
संघर्ष
दायित्व आदि के
ज्ञान से परे
मानो
लकवा मार गया है सबको
तैयार हो चुकी है
तानाशाही के लिए ज़मीन
उग आई हैं
धार्मिक उन्माद के रथ पर सवार
हत्यारों की टोलियाँ
बचे हैं
कुछ अर्बन नक्सल
टुकड़े टुकड़े गैंग के कुछ लोग
आत्महत्या के लिए उतारू
कुछ पत्रकार
सत्य-अहिंसा
प्रेम और मानवता की
बात करने वाले
कुछ बेवकूफ़ नेता
पर ज़्यादा देर नहीं बचेंगे
ये सब
73 वें स्वतंत्रता दिवस की
पूर्व संध्या पर
प्रजातंत्र ले रहा है
अंतिम सांस
फिर भी
मैं प्रार्थना कर रहा हूँ
सबके
शुभ और मंगल की !
सिर्फ़ तुम्हारा
नमन
Read More
निष्प्राण
बेबस
असहाय ज़िंदा लाशे
झुकी हुई गर्दन
सिले होंठ
डबडबाई आँखें
अधिकार
कर्तव्य
संघर्ष
दायित्व आदि के
ज्ञान से परे
मानो
लकवा मार गया है सबको
तैयार हो चुकी है
तानाशाही के लिए ज़मीन
उग आई हैं
धार्मिक उन्माद के रथ पर सवार
हत्यारों की टोलियाँ
बचे हैं
कुछ अर्बन नक्सल
टुकड़े टुकड़े गैंग के कुछ लोग
आत्महत्या के लिए उतारू
कुछ पत्रकार
सत्य-अहिंसा
प्रेम और मानवता की
बात करने वाले
कुछ बेवकूफ़ नेता
पर ज़्यादा देर नहीं बचेंगे
ये सब
73 वें स्वतंत्रता दिवस की
पूर्व संध्या पर
प्रजातंत्र ले रहा है
अंतिम सांस
फिर भी
मैं प्रार्थना कर रहा हूँ
सबके
शुभ और मंगल की !
सिर्फ़ तुम्हारा
नमन
किसी बाबर ने एक मस्जिद बनाई और सब चुप थे....
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे....
अवध चुप था
थी काशी चुप
थे चुप सब संत
सारे मठ
ये गलती थी
किसी नेहरू की
ज़ो तुलसी चुप थे
थे रामानन्द भी चुप
विवेकानंद भी आए गए
पर वे भी थे चुप
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे .....
मुगल थे
तब भी सब चुप थे
आए अंग्रेज़ तब भी सब चुप
सुना है
कोई गांधी था
हिंदुओं की
500 वर्षों की
इस कायरता के पीछे
वो गांधी ज़ो हर सुबह
जपता था
‘रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम’
इसी गांधी की वजह से
महान राणा प्रताप
और वीर शिवाजी
तक सब चुप थे
चुप थे नेताजी
सरदार भगत सिंह
और आज़ाद
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे....
और फिर
रात को 12 बजे
उगा आज़ादी का सूरज
और महान पराक्रमी
गोडसे नामक योद्धा ने
हिंदुओं की रक्षा के लिए
मार दी गोली
78 वर्ष के
गांधी को
500 साल के
इंतज़ार के बाद
प्रकट हो गई
राम लला की मूर्ति
एक मस्जिद मे
जिसे किसी बाबर ने
बनाया था
500 साल पहले
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे ....
एक पल मे
खुदा का घर
बन गया राम का घर
खुदा के घर मे
राम के आने का दृश्य
कितना मनोरम
कितना अद्भुत
‘एको अहम द्वितीयो नास्ति’
की बात करने वाला
सनातन धर्म
श्याम गुन गाने वाला सूफी
और
“नाहक को तेरे दिल मे भटकाव पड़ गया
काबे मे ओ है शेख वही बुतकदे मे है”
कहने वाला
कब्र मे सोया बहादुरशाह जफर
सब अविभूत थे
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे ...
मुकदमा जारी था
अदालत मे
अजन्मा-अविनाशी
कण-कण मे व्याप्त
राम की जन्मभूमि के
3 एकड़ ज़मीन का
फिर एक सुबह
अदालत के आदेश से
खुदा/ राम के घर का
ताला खुल गया
शुरू हो गई
पूजा और आरती
राम और रहमान दोनों खुश
पुजारी आरती करता
और घंटी बजाता
5 समय नमाज़ पढ़ने वाला
खुदा का बंदा
अद्भुत
गंगो जमुनी संस्कृति
खुदा का बंदा
राम की पूजा के लिए
फूल माला बेचता
अपने इक्के पर
राम के भक्तों को
दर्शन के लिए ले आता
उनकी खातिरदारी करता
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे...
एक दिन
राम के
महान पराक्रमी भक्तों ने
ढहा दिया राम का घर
कर दिया राम लला को बेघर
दे दिया एक बार फिर
राम को वनवास
सीता और लक्ष्मण के साथ
महात्मा गांधी की हत्या का
पराक्रम करने वाले
गोडसे को पूजने वाला
महान पराक्रमी हिन्दू
नेहरू की वजह से
500 वर्ष चुप रहा
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे....
अब
सर्वोच्च न्यायालय
मे मुकदमा है
पौने तीन एकड़ ज़मीन के
मालिकाना हक़ का
और हिज़ हाईनेस
सुनवाई कर रहे हैं
100 करोड़ हिंदुओं की
आस्था और विश्वास का
ज़ो न जन्मता है
न मरता है
उस राम के
जन्म स्थान का
इंतज़ार है की
हिज़ हाईनेस तय करें
राम कहाँ पैदा हुये
किस ज़मीन पर पैदा हुये
पैदा हुये भी की नहीं
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे....
Read More
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे....
थी काशी चुप
थे चुप सब संत
सारे मठ
ये गलती थी
किसी नेहरू की
ज़ो तुलसी चुप थे
थे रामानन्द भी चुप
विवेकानंद भी आए गए
पर वे भी थे चुप
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे .....
तब भी सब चुप थे
आए अंग्रेज़ तब भी सब चुप
सुना है
कोई गांधी था
हिंदुओं की
500 वर्षों की
इस कायरता के पीछे
वो गांधी ज़ो हर सुबह
जपता था
‘रघुपति राघव राजा राम
पतित पावन सीता राम’
इसी गांधी की वजह से
महान राणा प्रताप
और वीर शिवाजी
तक सब चुप थे
चुप थे नेताजी
सरदार भगत सिंह
और आज़ाद
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे....
रात को 12 बजे
उगा आज़ादी का सूरज
और महान पराक्रमी
गोडसे नामक योद्धा ने
हिंदुओं की रक्षा के लिए
मार दी गोली
78 वर्ष के
गांधी को
500 साल के
इंतज़ार के बाद
प्रकट हो गई
राम लला की मूर्ति
एक मस्जिद मे
जिसे किसी बाबर ने
बनाया था
500 साल पहले
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे ....
खुदा का घर
बन गया राम का घर
खुदा के घर मे
राम के आने का दृश्य
कितना मनोरम
कितना अद्भुत
‘एको अहम द्वितीयो नास्ति’
की बात करने वाला
सनातन धर्म
श्याम गुन गाने वाला सूफी
और
“नाहक को तेरे दिल मे भटकाव पड़ गया
काबे मे ओ है शेख वही बुतकदे मे है”
कहने वाला
कब्र मे सोया बहादुरशाह जफर
सब अविभूत थे
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे ...
अदालत मे
अजन्मा-अविनाशी
कण-कण मे व्याप्त
राम की जन्मभूमि के
3 एकड़ ज़मीन का
फिर एक सुबह
अदालत के आदेश से
खुदा/ राम के घर का
ताला खुल गया
शुरू हो गई
पूजा और आरती
राम और रहमान दोनों खुश
पुजारी आरती करता
और घंटी बजाता
5 समय नमाज़ पढ़ने वाला
खुदा का बंदा
अद्भुत
गंगो जमुनी संस्कृति
खुदा का बंदा
राम की पूजा के लिए
फूल माला बेचता
अपने इक्के पर
राम के भक्तों को
दर्शन के लिए ले आता
उनकी खातिरदारी करता
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे...
राम के
महान पराक्रमी भक्तों ने
ढहा दिया राम का घर
कर दिया राम लला को बेघर
दे दिया एक बार फिर
राम को वनवास
सीता और लक्ष्मण के साथ
महात्मा गांधी की हत्या का
पराक्रम करने वाले
गोडसे को पूजने वाला
महान पराक्रमी हिन्दू
नेहरू की वजह से
500 वर्ष चुप रहा
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे....
सर्वोच्च न्यायालय
मे मुकदमा है
पौने तीन एकड़ ज़मीन के
मालिकाना हक़ का
और हिज़ हाईनेस
सुनवाई कर रहे हैं
100 करोड़ हिंदुओं की
आस्था और विश्वास का
ज़ो न जन्मता है
न मरता है
उस राम के
जन्म स्थान का
इंतज़ार है की
हिज़ हाईनेस तय करें
राम कहाँ पैदा हुये
किस ज़मीन पर पैदा हुये
पैदा हुये भी की नहीं
किसी बाबर ने
एक मस्जिद बनाई
और सब चुप थे....
प्रेम ICU में है
प्रेम ICU में है
मानवीय गुणों के
प्लेटलेट्स कम होने से
जगह जगह फट गई हैं
सामाजिक संरचना की नसें
खूब खून बहा है
मरने की कगार पर है वह
सुना है
सरकारी सहायता न मिलने से
हर जगह संवेदना नामक
अॉक्सीजन का अभाव है
दवा विशेषज्ञ
डॉ सेकुलर को हटा कर
सर्जन डॉ मस्कुलर की
नियुक्ति की गई है
मरीज़ की जान बचाने के लिए
मैं सुबह से
अपने मित्रों को
ईद मुबारक कहने की
कोशिश कर रहा हूँ
पर आवाज़
गले में फँस कर रह गयी है.
Read More
प्रेम ICU में है
मानवीय गुणों के
प्लेटलेट्स कम होने से
जगह जगह फट गई हैं
सामाजिक संरचना की नसें
खूब खून बहा है
मरने की कगार पर है वह
सुना है
सरकारी सहायता न मिलने से
हर जगह संवेदना नामक
अॉक्सीजन का अभाव है
दवा विशेषज्ञ
डॉ सेकुलर को हटा कर
सर्जन डॉ मस्कुलर की
नियुक्ति की गई है
मरीज़ की जान बचाने के लिए
मैं सुबह से
अपने मित्रों को
ईद मुबारक कहने की
कोशिश कर रहा हूँ
पर आवाज़
गले में फँस कर रह गयी है.
नफ़रत की सियासत का इतना सा तमाशा है
नफ़रत की सियासत का इतना सा तमाशा है
हर शख़्स परेशान है हर दिल में हताशा है।
दुश्मन से लड़ सके वो उसमें नहीं है जिगरा
वह शख़्स मगर अपनों के खून का प्यासा है।
मंदिर और मस्जिदों में लाखों का चढ़ावा है
सीढ़ी पर बैठे भूखों के हाथ में कासा है।
वो मुल्क की खिदमत में अंगुली नहीं हिलाता
हर रोज़ मगर देता वह झूठा दिलासा है।
Read More
हर शख़्स परेशान है हर दिल में हताशा है।
दुश्मन से लड़ सके वो उसमें नहीं है जिगरा
वह शख़्स मगर अपनों के खून का प्यासा है।
मंदिर और मस्जिदों में लाखों का चढ़ावा है
सीढ़ी पर बैठे भूखों के हाथ में कासा है।
वो मुल्क की खिदमत में अंगुली नहीं हिलाता
हर रोज़ मगर देता वह झूठा दिलासा है।
पटवारी से कलक्टर तक
पटवारी से कलक्टर तक
हवलदार से DGP तक
जूनियर इंजीनियर से चीफ़ इंजीनियर तक
डॉक्टरों से सिविल सर्जन तक
चपरासी से कमिशनर तक
वक़ील से न्यायाधीश तक
ग्राम प्रधान से मंत्री तक
शिक्षा अधिकारी से शिक्षा मंत्री तक
ईमानदार कौन है
इस प्रश्न पर पूरा देश मौन है...
लूटो और खाओ का
हर तरफ़ शोर है
पत्रकार से संपादक तक
विधायक से मंत्री तक
गली से दिल्ली तक
जिला परिषद से संसद तक
घोटालों का दौर है
इस भ्रष्ट तंत्र का
हर तीसरा व्यक्ति चोर है....
Read More
पटवारी से कलक्टर तक
हवलदार से DGP तक
जूनियर इंजीनियर से चीफ़ इंजीनियर तक
डॉक्टरों से सिविल सर्जन तक
चपरासी से कमिशनर तक
वक़ील से न्यायाधीश तक
ग्राम प्रधान से मंत्री तक
शिक्षा अधिकारी से शिक्षा मंत्री तक
ईमानदार कौन है
इस प्रश्न पर पूरा देश मौन है...
लूटो और खाओ का
हर तरफ़ शोर है
पत्रकार से संपादक तक
विधायक से मंत्री तक
गली से दिल्ली तक
जिला परिषद से संसद तक
घोटालों का दौर है
इस भ्रष्ट तंत्र का
हर तीसरा व्यक्ति चोर है....
बेटियां फूल है बेटियां है कली
बेटियां फूल है बेटियां है कली
बेटियां मीठी है जैसे गुड की डली।
बेटियां प्यार है और आशीष हैं
गर्व से उठ रहा बाप का शीश हैं।
माँ के दिल का अरमान है बेटियां
हर पिता की पहचान हैं बेटियां।
बेटियों से महकता है घर आँगन
बेटिओं को नमन, बेटिओं को नमन।
बेटियाँ घर और आँगन की शान हैं
बेटियाँ पूरे घर का सम्मान हैं।
बेटियाँ होती हैं रोशनी की तरह
घर मे रहती हैं वो ज़िंदगी की तरह।
बेटियाँ मुस्कराता हुआ चाँद हैं
बेटियाँ मेरे दिल की फरियाद है।
बेटियाँ हैं तो है उनसे सारा चमन
बेटियों को नमन, बेटियों को नमन।
Read More
विंध गया था
विंध गया था
श्रवण कुमार
दशरथ के शब्द वेधी बाण से
और फिर देखते ही देखते
शब्द स्वयं ही
बन गए हथियार
शब्दों से ही घायल किया था
पांचाली ने
दुर्योधन को
अंधे का पुत्र अंधा कह कर
उस एक शब्द शस्त्र ने
जान ले ली
सहसत्रों वीरों -धनुर्धरों, महारथियों
यहाँ तक कि
इच्छा मृत्यु का वर पानेवाले
पितामह भीष्म की भी
शब्दों के महारथी
शब्दों को
अपने तूणीर से निकालने के पहले
दस बार सोच
सोच उनकी संहारक क्षमता के बारे मे
सोच उससे होने वाले विनाश के बारे में
सोच उसकी शक्ति के बारे में
यह शब्द
कितना निष्पाप सा लगता है
पर चीर देता है सीनों को
चूर -चूर कर देता है सपनों को
ध्वस्त कर देता है घरों को
शब्द है
वज्र से अधिक घातक
एक बार निकलने पर
नहीं लौटता
बिना प्रहार किए
सोच-सोच-सोच
यदि हो सके तो
निकाल ऐसे शब्द
जिनसे घिर आयें बादल
बरसें घनघोर
धरती हो जाए हरित
नाच उठे मनमोर
गीत गुनगुना
राग छेड़
जीवन राग ।
Read More
विंध गया था
श्रवण कुमार
दशरथ के शब्द वेधी बाण से
और फिर देखते ही देखते
शब्द स्वयं ही
बन गए हथियार
शब्दों से ही घायल किया था
पांचाली ने
दुर्योधन को
अंधे का पुत्र अंधा कह कर
उस एक शब्द शस्त्र ने
जान ले ली
सहसत्रों वीरों -धनुर्धरों, महारथियों
यहाँ तक कि
इच्छा मृत्यु का वर पानेवाले
पितामह भीष्म की भी
शब्दों के महारथी
शब्दों को
अपने तूणीर से निकालने के पहले
दस बार सोच
सोच उनकी संहारक क्षमता के बारे मे
सोच उससे होने वाले विनाश के बारे में
सोच उसकी शक्ति के बारे में
यह शब्द
कितना निष्पाप सा लगता है
पर चीर देता है सीनों को
चूर -चूर कर देता है सपनों को
ध्वस्त कर देता है घरों को
शब्द है
वज्र से अधिक घातक
एक बार निकलने पर
नहीं लौटता
बिना प्रहार किए
सोच-सोच-सोच
यदि हो सके तो
निकाल ऐसे शब्द
जिनसे घिर आयें बादल
बरसें घनघोर
धरती हो जाए हरित
नाच उठे मनमोर
गीत गुनगुना
राग छेड़
जीवन राग ।
रात गहरी है राज गहरे हैं
रात गहरी है राज गहरे हैं
अब मोहब्बत पे लगे पहरे हैं।
पहले यह रात गुनगुनाती थी
अब मुंह बंद कान बहरे हैं।
हम हलकान हैं अफवाहों से
यहाँ पल-पल बदलते चेहरे हैं।
कैसे उन पर भरोसा कर ले हम
वो किसी तीसरे के मोहरे हैं।
उम भर जिनका इंतज़ार किया
वे किसी और दिल में ठहरे हैं।
अब अवाम से किसको मतलब
रहनुमा सारे अंधे बहरे हैं।
हैं तिरंगे तुम्हारे हाथों मे
तिरंगे मेरे दिल मे फहरे हैं।
इन नौजवान आँखों मे देखो
इनमे सपने कई सुनहरे हैं।
Read More
रात गहरी है राज गहरे हैं
अब मोहब्बत पे लगे पहरे हैं।
पहले यह रात गुनगुनाती थी
अब मुंह बंद कान बहरे हैं।
हम हलकान हैं अफवाहों से
यहाँ पल-पल बदलते चेहरे हैं।
कैसे उन पर भरोसा कर ले हम
वो किसी तीसरे के मोहरे हैं।
उम भर जिनका इंतज़ार किया
वे किसी और दिल में ठहरे हैं।
अब अवाम से किसको मतलब
रहनुमा सारे अंधे बहरे हैं।
हैं तिरंगे तुम्हारे हाथों मे
तिरंगे मेरे दिल मे फहरे हैं।
इन नौजवान आँखों मे देखो
इनमे सपने कई सुनहरे हैं।
चीख
हां! यह चीखने का वक्त है
चीख
जो लगभग सत्य बन गए
झूठ की
केचुली उतार कर
उसे नंगा कर दे...
चीख
जो बहरी हो चुकी सरकार के
कान के परदे फाड़ दे..
चीख
जो संसद में पैदा कर दे
झुर झुरी
अपने आक्रोश
करुणा और पीड़ा से...
चीख
उन 100 से अधिक
स्त्रियों की
जिनका प्रतिदिन होता है
चीर हरण और बलात्कार
सरकार के कान पर
जूं तक नहीं रेंगती ...
चीख
उन युवाओं और छात्रों की
टुकड़े-टुकड़े गैंग कह कर
जिन्हें साबित कर दिया गया है
राष्ट्र विरोधी ....
चीख
छोटे छोटे व्यापारियों की
दुकानदारों की
छोटे उद्योगपतियों की
जिनका व्यवसाय हो गया है ठप
नोटबंदी से
और सरकार कह रही है
यह व्यापारी
काला धन पकड़े जाने पर
फड़फड़ा रहे हैं....
चीख
उन सैकड़ो माँओं की
जिनके बच्चे मर गए
अस्पताल में
ऑक्सीजन के अभाव में
सरकार ने कहा कि यह
मुस्लिम डॉक्टर की
लापरवाही है...
चीख
उनकी जिन्हे
मार डाला गया
पीट-पीटकर गौरक्षा के नाम पर
और संसद ताली बजाती रही
जुमलों पर....
चीख
उनकी
जिनके घर वाले और रिश्तेदार
उस समय मारे गए
रेल हादसे में
जब रेल मंत्री
बुलेट ट्रेन चलाने की बात कर रहे थे...
चीख
उस पत्नी की
जिसके पति की बलि चढ़ गई
सीमा पर
युद्धोन्माद में
और चौकीदार
विदेश यात्रा पर है....
चीख
उन डेढ़ करोड़ से ज्यादा
भारतीयों की
जिनकी नौकरी खो गई
औद्योगिक मंदी में
और सरकार जिन्हें
सलाह दे रही है
पकोड़ा तलने की....
चीख-चीख -चीख
हर तरफ से आ रही
इन चीखों से
पागल हो रहा हूँ मैं
मीडिया और सरकार ने
चीख- चीख कर
साबित कर दिया है
कि इन चीखों के लिए
पंडित नेहरू जिम्मेदार हैं !
पंडित नेहरू जिम्मेदार हैं !
'नमन'
Read More
चीख
जो लगभग सत्य बन गए
झूठ की
केचुली उतार कर
उसे नंगा कर दे...
चीख
जो बहरी हो चुकी सरकार के
कान के परदे फाड़ दे..
चीख
जो संसद में पैदा कर दे
झुर झुरी
अपने आक्रोश
करुणा और पीड़ा से...
चीख
उन 100 से अधिक
स्त्रियों की
जिनका प्रतिदिन होता है
चीर हरण और बलात्कार
सरकार के कान पर
जूं तक नहीं रेंगती ...
चीख
उन युवाओं और छात्रों की
टुकड़े-टुकड़े गैंग कह कर
जिन्हें साबित कर दिया गया है
राष्ट्र विरोधी ....
चीख
छोटे छोटे व्यापारियों की
दुकानदारों की
छोटे उद्योगपतियों की
जिनका व्यवसाय हो गया है ठप
नोटबंदी से
और सरकार कह रही है
यह व्यापारी
काला धन पकड़े जाने पर
फड़फड़ा रहे हैं....
चीख
उन सैकड़ो माँओं की
जिनके बच्चे मर गए
अस्पताल में
ऑक्सीजन के अभाव में
सरकार ने कहा कि यह
मुस्लिम डॉक्टर की
लापरवाही है...
चीख
उनकी जिन्हे
मार डाला गया
पीट-पीटकर गौरक्षा के नाम पर
और संसद ताली बजाती रही
जुमलों पर....
चीख
उनकी
जिनके घर वाले और रिश्तेदार
उस समय मारे गए
रेल हादसे में
जब रेल मंत्री
बुलेट ट्रेन चलाने की बात कर रहे थे...
चीख
उस पत्नी की
जिसके पति की बलि चढ़ गई
सीमा पर
युद्धोन्माद में
और चौकीदार
विदेश यात्रा पर है....
चीख
उन डेढ़ करोड़ से ज्यादा
भारतीयों की
जिनकी नौकरी खो गई
औद्योगिक मंदी में
और सरकार जिन्हें
सलाह दे रही है
पकोड़ा तलने की....
चीख-चीख -चीख
हर तरफ से आ रही
इन चीखों से
पागल हो रहा हूँ मैं
मीडिया और सरकार ने
चीख- चीख कर
साबित कर दिया है
कि इन चीखों के लिए
पंडित नेहरू जिम्मेदार हैं !
पंडित नेहरू जिम्मेदार हैं !
'नमन'
क्या कहें तेरी नज़र का तीर दिल के पार है
क्या कहें तेरी नज़र का तीर दिल के पार है
इश्क क़ी कश्ती क़ी तेरे हाथ में पतवार है|
तुमने होठों से कहा कुछ भी नहीं हमसे मगर
हमने समझा तुमको मेरे प्यार पर ऐतबार है|
मौजें दरिया के किनारों से सदा टकराती हैं
कौन जाने इसमें उनका प्यार है या रार है|
हमने इन तारों से अपना चाँद माँगा जब कभी
तो वे बोले क़ी उन्हें इनकार ही इनकार है|
हुश्न के बाज़ार में दिल बेचने आये हैं हम
और कीमत में मोहब्बत क़ी हमें दरकार है|
दिल में बसना है मेरे या दिल है मेरा तोड़ना
पूंछने क़ी बात क्या है ये तेरा अधिकार है|
'नमन'
Read More
कविता
कविता
कभी होती है
उदास और खामोश
कभी होती है चुल-बुली
कभी गुनगुनाती है
कभी धीरे से कह जाती है
कानो में कुछ ......
कविता
कभी टांक दी जाती है
आसमान के आँचल में
चाँद - तारों के साथ
तो कभी बरसती है
सावन की फुहारों के साथ
कभी तपती है
सुलगते रेगिस्तानो जैसी
प्रिय के विरह में यही कविता .... ....
कभी शांत नदी
तो कभी उफनते महासागर सी
होती है कविता ......
कविता होती है
गंगा सी पवित्र
यमुना सी गहरी
और सरस्वती सी लुप्त
जो सिर्फ
पवित्र हृदयों में ही प्रकट होती है ..
कविता
कभी शब्दों में ढलती है
तो कभी आँखों में पिघलती है
कविता कभी सत्य
तो कभी सपनो की दुनिया है
मगर जहाँ भी है
जैसी भी है कविता
मधुर है , मनोरम है
सुंदर है , सलोनी है
भाषा है , बोली है
तुम्हारी है, मेरी है
प्यार करने वालों की
हमजोली है कविता ...
'नमन'
Read More
लाशों पर लाशें बिछाते जा रहे हो
लाशों पर लाशें बिछाते जा रहे हो
देश मुर्दाघर बनाते जा रहे हो.
बढ़ गयी है ‘व्यापम’ की व्याप्ति इतनी
नौजवानों को सुलाते जा रहे हो.
मंत्रियों से संतरियों तक भ्रष्ट हैं सब
'मन की बातों' से हमें बहला रहे हो.
मर रहे हैं रोज सीमा पर जवान
तुम हो की सीना फुलाते जा रहे हो.
दिन दहाड़े लुट रही नारियां
राग तुम 'बेटी बचाओ' गा रहे हो.
आत्म हत्या कर रहे मजदूर-किसान
पीठ अंबानियों की तुम सहला रहे हो.
नमन
Read More
यूँ ही अपनों क़ी शिकायत नहीं किया करते
यूँ ही अपनों क़ी शिकायत नहीं किया करते
अपने ही घर में सियासत नहीं किया करते .
न जले घर, न जले दिल, जले तो दीप जले
बेवजह कत्ले मोहब्बत नहीं किया करते .
तुम्हारी ईद पर हम भी दीवाली कर लेंगे
हम दावतों पे अदावत नहीं किया करते.
गिले शिकवे कहाँ किस घर में नहीं होते हैं
ऐसे अपनों क़ी खिलाफत नहीं किया करते .
याद रखना 'नमन' गुलशन के पहरेदार हैं हम
काँटा लगने पे बगावत नहीं किया करते . 'नमन'
Read More
अपने ही घर में सियासत नहीं किया करते .
बेवजह कत्ले मोहब्बत नहीं किया करते .
हम दावतों पे अदावत नहीं किया करते.
ऐसे अपनों क़ी खिलाफत नहीं किया करते .
काँटा लगने पे बगावत नहीं किया करते . 'नमन'
ए जरूरी है की सच सामने लाया जाए
ए जरूरी है की सच सामने लाया जाए
और दुनियाँ से जहालत को मिटाया जाए।
कुछ लोग नफरत को ईमान समझ बैठे हैं
पाठ उन सबको मोहब्बत का पढ़ाया जाए।
पेट मे रोटी और आँखों मे ख्वाब हों सबके
किसी इंसान पर अब ज़ुल्म न ढाया जाए।
देश मेरा है, तुम्हारा है और उसका भी है
हमें मजहब के नाम पर न लड़ाया जाए।
कभी इस्लाम खतरे मे हुआ करता था
अब हिन्दू को न खतरे मे ले आया जाए ।
नमन
Read More
और दुनियाँ से जहालत को मिटाया जाए।
पाठ उन सबको मोहब्बत का पढ़ाया जाए।
किसी इंसान पर अब ज़ुल्म न ढाया जाए।
हमें मजहब के नाम पर न लड़ाया जाए।
अब हिन्दू को न खतरे मे ले आया जाए ।
नमन
मोहब्बत
मैंने
की है मोहब्बत
रंगीन तितलियों से
वे मंडराती हैं
फूलों और कलियों पर
मैंने
की है मोहब्बत
फूलों और कलियों से
वे मुस्करा देती हैं
मुझे देख कर
अपनी मोहक सुगंध से
मंहका देते हैं मेरी सांसें
मैंने
की है मोहब्बत
नदियों और झरनों से
उनकी लहरे उछलती हैं
मुझसे मिलने के लिए
और फिर इठलाकर
कल-कल करते हुए
पुकारती हैं मुझे
कहती हैं
आओ मुझमे समा जाओ
मैंने
की है मोहब्बत
वृक्षों से
वे झूम उठते हैं मुझे देख कर
छाया और शीतल बयार देते हैं मुझे
फल आने पर झुक जाती हैं
उनकी डालियाँ
मुझे देने के लिए फल
मैंने
की है मोहब्बत
खेतों और फसलों से
गेंहू और धान की लहलहाती बालियाँ
मटर लता के रंग बिरंगे फूल
सरसों के फूल से पीली हुई धरती
मक्के का जीरा और घूही
सुन्दरता से पाट देते हैं धरती को
समेट लेते हैं मेरा पूरा अस्तित्व
अपने अन्दर
मैंने
की है मोहब्बत
पत्थरों और पहाड़ों से
सर ऊँचा करके खड़ा हिमालय
विन्ध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियां
देते हैं मुझे संबल और सीख
दुनियां के तमाम झंझावातों को
स्थिर होकर सहने की
कोई नहीं रोकता मुझे
प्यार करने से
परन्तु जब
मोहब्बत करता हूँ मैं
मनुष्य से
रोक दिया जाता है मुझे
जाती और धर्म के नाम पर
स्त्री और पुरुष के नाम पर
देश और भाषा के नाम पर
क्यों नहीं प्यार कर सकता मैं
सबसे एक साथ
एक ही समय
विनती है आपसे
मत रोकिये मुझे
मोहब्बत करने से
प्रेम करने से
गीत गाने से ......
'नमन'
Read More
की है मोहब्बत
रंगीन तितलियों से
वे मंडराती हैं
फूलों और कलियों पर
की है मोहब्बत
फूलों और कलियों से
वे मुस्करा देती हैं
मुझे देख कर
अपनी मोहक सुगंध से
मंहका देते हैं मेरी सांसें
की है मोहब्बत
नदियों और झरनों से
उनकी लहरे उछलती हैं
मुझसे मिलने के लिए
और फिर इठलाकर
कल-कल करते हुए
पुकारती हैं मुझे
कहती हैं
आओ मुझमे समा जाओ
की है मोहब्बत
वृक्षों से
वे झूम उठते हैं मुझे देख कर
छाया और शीतल बयार देते हैं मुझे
फल आने पर झुक जाती हैं
उनकी डालियाँ
मुझे देने के लिए फल
मैंने
की है मोहब्बत
खेतों और फसलों से
गेंहू और धान की लहलहाती बालियाँ
मटर लता के रंग बिरंगे फूल
सरसों के फूल से पीली हुई धरती
मक्के का जीरा और घूही
सुन्दरता से पाट देते हैं धरती को
समेट लेते हैं मेरा पूरा अस्तित्व
अपने अन्दर
की है मोहब्बत
पत्थरों और पहाड़ों से
सर ऊँचा करके खड़ा हिमालय
विन्ध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियां
देते हैं मुझे संबल और सीख
दुनियां के तमाम झंझावातों को
स्थिर होकर सहने की
प्यार करने से
परन्तु जब
मोहब्बत करता हूँ मैं
मनुष्य से
रोक दिया जाता है मुझे
जाती और धर्म के नाम पर
स्त्री और पुरुष के नाम पर
देश और भाषा के नाम पर
सबसे एक साथ
एक ही समय
मत रोकिये मुझे
मोहब्बत करने से
प्रेम करने से
गीत गाने से ......